Wednesday, 12 August 2020

अज्ञात

 अज्ञात छायाकार


उसे ज्ञात है

रंगों का बेहतर संयोजन/

हर रंग का अपना रंगमंच..

किसकी आँखों में

कितना रंग/

श्यामल हिस्सा कितना श्याम/

श्वेत हिस्सा कितना श्वेत/

उसे ज्ञात है..


उसे ज्ञात है/

कितना प्रकाश 

कितने घनत्व में और

किस पहर डालना है/

ताकि आ सके सर्वश्रेष्ठ तस्वीर/

छाया का जादूगर है वो !


आप चाहें या न चाहें

वो बिठाता है

समीकरण

धूप छाँव के/

लेकर आता है

अपनी मनमर्जी के पात्र

अपनी सुविधा से/

कराता है किसी तरह

'एडजस्ट'

वक्त के फ्रेम में/


आप हो जाते हो पाबंद

अनायास ही

उसके निर्देशों के/

समस्त भावभंगिमाये

स्वतः करती है पालना/

उसके एक 'क्लिक' की !


वो रचता है

सम्मोहक नेपथ्य/

सबकी नजरें बचाकर !

कोई नहीं बच सकता

उसके लेंस की जद से..

वो अज्ञात है/

मगर ज्ञात है उसे 

समस्त तस्वीरें /

एक ज़खीरा है 

उसके पास

समस्त घटनाक्रम का/


भले ही रहो आप अंजान

ताउम्र उसकी उपस्थिति से/

अगर जान लेते तो

कर लेते शायद

थोड़ा अभिनय प्रेम का/

जैसे करते आये हो अब तक

किसी सिद्धहस्त 

फोटोग्राफर के सामने/

होठों के किनारे विस्तृत किये हुए !


अल्पना नागर
















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