Wednesday, 6 January 2021

समय चक्र

 


आलेख- समय चक्र


आज के समय की सबसे बड़ी विडंबना है-समय का न होना ! बहुत से लोगों को कहते हुए सुना होगा कि समय का अभाव है,एक सैकेंड का समय भी नहीं है।एक अजीब सी मैराथन में सभी नें हिस्सा लिया हुआ है,लेकिन किधर जा रहे हैं क्यों जा रहे हैं किसी को कुछ ज्ञात नहीं!

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के जिन्न की मदद से हमने स्वर्गीय सुख को प्राप्त करने की सभी सुविधाएं जुटा ली हैं।हमारे आसपास भौतिक सुख का ज़खीरा पड़ा है इतना कि शायद अब स्वर्ग के सुखों की कल्पना हास्यास्पद लगने लगी है,ऐसा कोई सुख नहीं जो हमारी पहुँच में न हो ऐसी कोई वस्तु नहीं जिसे हम प्राप्त न कर सकें।सुनकर बड़ा सुकून महसूस होता है कि इंसानी सभ्यता इतना आगे आ गई है कि पलक झपकते ही हर चीज हाज़िर! लेकिन कभी गौर किया है कि इक्कट्ठा किये उन सुखों को भोगने का समय तक हमारे पास नहीं होता।यही तो प्रौद्योगिकी के जिन्न नें हमसे बदले में चाहा है..हमारा समय ! जो हमने बिना सोचे समझे उसके सुपुर्द कर दिया।अब रोशनी इतनी है कि हर तरफ अजीब सा अंधेरा दिखाई पड़ता है..अंधेरा जिसमें जीवन घुलता जा रहा है।हर जगह वही समय को लीन जाने वाली दौड़ नजर आती है,मेट्रो में ,बस में मोबाइल या लैपटॉप में घुसे सर,एअरपोर्ट पर हवाई जहाज में वही दृश्य।बार बार बेवजह अपने मोबाइल को इतनी बार देखना चेक करना जैसे कि वो मोबाइल नहीं हमारी नई नवेली संतान है!दरअसल मोबाइल नें धीरे धीरे व्यक्ति की समस्त ऊर्जा और चेतना को अपनी ओर खींच लिया है,अब जो शेष है वो उर्जाविहीन अचेतन शरीर मात्र है जो सिर्फ समय को किसी तरह काट रहा है।वो जागते हुए भी नींद में होते हैं..दिन में सपने देखते हैं और जब किसी तरह नींद आती है तो अनेक स्वप्नों से घिरे होते हैं।

आज किसी के पास समय नहीं कि खिड़की के पास बैठकर बाहर की दुनिया का आनंद लिया जाए चाहे वो बस हो ट्रेन हो या हवाईजहाज।जीवन से संपर्क छूटता जा रहा है और मशीनों से जुड़ता जा रहा है।वस्तुतः भावनाएं भी मशीनी हो गई।

आपने अपने परिजनों से सुना होगा कि किस तरह बिना किसी घड़ी या अलार्म की मदद के वो रोज सुबह बिल्कुल सही समय पर स्वतः उठ जाते थे।या फिर सिर्फ धूप की परछाई देखकर अंदाजे से सटीक समय बता दिया करते थे।ये कोई जादू नहीं है।अपितु हमारे शरीर में मौजूद जैविक घड़ी की बदौलत है।ये बिल्कुल सत्य है हर व्यक्ति के पास अपनी एक जैविक घड़ी है जो दिन और रात के चौबीस घंटो पर आधारित है,जिसमें सूर्य का प्रकाश महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।ये वैज्ञानिक तौर पर साबित भी हो चुका है।यही वजह है कि आपने कई बार महसूस भी किया होगा जब भी कहीं जाना होता है तो अलार्म से ठीक पहले आपकी नींद खुल जाती है।ऐसा जैविक घड़ी की मौजूदगी से ही होता है।सिर्फ मानव शरीर ही नहीं बल्कि सभी जीव जंतु व पेड़ पौधे भी इसी घड़ी के आधार पर समय का प्रबंधन करते हैं।घड़ी के संचालन के लिए आवश्यक तत्व प्रकाश व तापमान ,आंतरिक मनोदशा होती है।

यही वजह है कि सर्दी के मौसम में कभी कभी सूरज की अनुपस्थिति से शारीरिक आलस्य की अनुभूति होती है।

हमारे शरीर में मौजूद जैविक घड़ी का सही समय पर होने का मतलब है शरीर और मन दोनों दुरुस्त हैं किंतु इसके ठीक विपरीत अगर दैनिक जीवन में परिवर्तन आ रहे हैं या किसी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं तो घड़ी का गड़बड़ाना तय है साथ ही स्वास्थ्य का गिरना भी तय है।आज के भौतिक समय में जहाँ देर तक जागना और देर से उठना नित्य प्रक्रिया का हिस्सा बन चुका है जैविक घड़ी का चक्र भी गड़बड़ा गया है,यही वजह है अनिद्रा,थकान उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं के बारे में आये दिन सुनने को मिलता है।

बेहतर यही है कि अपने शरीर की सुने,जैविक घड़ी की मरम्मत करें।थोड़ी देर के लिए ही सही प्रातः सूरज की किरणों का आस्वादन लें।समय को समय के हिसाब से चलने दें तो अन्य सभी चीजें स्वतः ही दुरुस्त रहेंगी।हमारे भीतर चैतन्य का कभी न खत्म होने वाला विशाल समुद्र है जो कि समय से भी पार है जिसने उसमें डूबना सीख लिया उसे समय का कभी अभाव हो ही नहीं सकता उसके लिए हर क्षण आनंदमय होगा।


-अल्पना नागर

6 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 07.01.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
    धन्यवाद

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  2. बहुत सही कहा है आपने, समय के पार जाकर समय का अभाव नहीं रहता !!

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    1. जी बेहद शुक्रिया😊

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  3. एक सार्थक चिंतन देता सुंदर आलेख।

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  4. बहुत बहुत शुक्रिया😊

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