Wednesday, 3 January 2018

कहानी -समंदर पार का प्रेम

कहानी
समंदर पार का प्रेम

"हेनरी नॉर्थलैंड....कौन है ये? मेरे पास फ्रेंड रिक्वेस्ट क्यूं आयी है ? अरे!इसने तो  मेसेज भी किया हुआ है..."हैलो" !
चेक करती हूँ..आजकल फर्जी लोग बहुत हो गये हैं..
टाइमलाइन...फोटोज..उफ़्फ़.. सो हेंडसम एंड इंटेलिजेंट भी...!कमाल है साहित्यिक शौक भी रखता है वो भी इतने उच्च विचार...यार फेक तो नहीं लग रहा कहीं से भी...पर मुझे क्यूँ भेजी रिक्वेस्ट?"
"अंजू बेटा क्या कर रही है दिनभर लॅपटॉप के चिपकी रहती है कोई और काम नहीं है तुझे ?चल इधर आ..मलाई कॉफ्ता कैसे बनाते हैं देख ले..कम से कम पास आके खड़ी ही हो जाया कर।"
"वाउ मलाई कॉफ्ता...मुझे बहुत पसंद है..मम्मा अभी आयी बस 2 मिनट्स..।"
अंजना एक साधारण नैन नक्श ,सांवले रंग,मंझोले कद वाली बी.कॉम तृतीय वर्ष की छात्रा थी।पढाई में हमेशा अव्वल,सम्वेदनशील हंसमुख लड़की थी।अंतर्मुखी लेकिन व्यवहारकुशल।यात्रा करना और किताबें पढ़ना बेहद पसंद था,पढ़ते पढ़ते उसके मन के उद्यान में सृजन के बीज कब अंकुरित हुऐ वो खुद भी नहीं जानती।समय मिलते ही अपने अनुभवों को एक कुशल कारीगर की तरह शब्दों का आकार देने लगी थी।हिंदी व अँग्रेजी दोनों भाषाओं में उसकी पकड़ लाजवाब थी।समय के साथ सोच में भी परिपक्वता दृष्टिगत होने लगी।ज़माने के साथ क़दम मिलाते हुऐ उसने अपने विचारों को सोशल साइट्स पर डालना शुरू किया,उँगलियों पर थिरकती आभासी दुनिया में उसके विचार बहुत पसंद किये जाने लगे।वो अपनी इस छोटी सी दुनिया में बहुत खुश थी।आभासी दुनिया में उसके बहुत से औपचारिक मित्र बन गये थे लेकिन आज पराये देश से किसी विदेशी लड़के की फ्रेंड रिक्वेस्ट देखकर वो अपने मन की जिज्ञासा रोक नहीं पाई।
" शहर है...हवाई द्वीप...वाउ सो ब्युटिफुल प्लेस..नीला समंदर..नीला आकाश..बिल्कुल मेरे सपनों जैसा !" अंजना नें उसकी प्रोफाइल को खंगालते हुए सोचा।"लेकिन यार ये लड़का मुझे कैसे जानता है..और क्या सोचकर इसने मुझे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी होगी..मैंनें तो इस शहर का नाम भी अब तक सिर्फ़ किताबों में पढ़ा है...!
लाइक्स एंड इंट्रेस्ट्स...ओह अब समझी ये भी वर्ल्ड लिटरेरि ग्रुप का मेम्बर है...अरे हाँ !इसने तो मेरी पोस्ट भी लाइक की हुई है !हाउ नाईस !"
"नमस्ते अंजना...आपकी बहुत धन्यवाद आप बहुत अच्छा लिखता है।"
"यू नो हिंदी लेंग्वेज़ ?? "
"हाँ मुझे हिन्दी और हिंदुस्तान दोनों से बहुत प्रेम है।इंडिया इज एन अमेजिंग कंट्री..सिम्पली इनक्रेडिबल !"
"वाह आप तो अच्छी खासी हिन्दी बोल लेते हैं बहुत खुशी हुई जानकर ।क्या कभी इंडिया आये हैं ?"
" थेंक यू...मैं कोशिश करता हूँ हिंदी बोलने की बट समटाइम्स ग्रामर में गलत हो जाता हूँ। टूटी फूटी लगभग दस भाषाएँ मैं बोल सकता हूँ। इंडिया लगभग सात महीने रहकर गया हूँ।उत्तराखंड में भारतीय उपनिषद वेद पुराण आदि से रिलेटेड पांडुलिपियों पर मैंने रिसर्च की है।
"देट्स रियली ग्रेट... आई स्टील कांट बिलीव देट आई एम टाकिन्ग टू ए फॉरेनर हू केन स्पीक हिंदी विद ए परफेक्ट फ्लो !!आप तो अद्भुत हैं हेनरी!"
"ह्म्म.. अद्भुत तो आप हैं आपकी पोस्ट पढ़ी मैंने.. आपकी विचार बहुत सुंदर है।"
"ओह शर्मिंदा न करें।मैं बस यूँ ही कभी कभी लिख लेती हूँ।अपने बारे में बताईये ...।"
"मेरा नाम तो आप जान चुका है। हवाई शहर बिल्कुल आपका पॉएम्स जैसा है..दूर तक खुला नीला आसमान..मिरर सा साफ समंदर..ब्युटिफुल नेचर अराउन्ड..मोडरेट टेम्परेचर...यू वुड लव दिस प्लेस.. डिफरेंट कंट्रीज़ की कल्चरल हेरिटेज पर रिसर्च मेरा हॉबी है।इसके अलावा मैं अस्ट्रोनोमर हूँ।एस्ट्रोनॉटिकल इंजीनियरिंग का अंतिम वर्ष है।नये नये ग्रह उपग्रह आकाशगंगा आदि सर्च करना मेरा पैशन है।"
"क्या बात है आप तो बहुत प्रतिभाशाली हैं ।आई एम वेरी मच इम्प्रेस्ड।"
बातों का सिलसिला यूँ ही चलता रहा।समय के साथ मित्रता और समान अभिरुचि नें अपना रंग दिखाना शुरू किया।हेनरी अंजना को अपनी नई नई खोज के बारे में बताता रहता,स्पेस से सम्बंधित फोटोज मेल करता रहता।अंजना को अंतरिक्ष से सम्बंधित खोजों के बारे में बहुत दिलचस्पी थी,जब भी हेनरी उसे किसी नए तारे या उल्का पिंड की खोज के बारे में बताता वो उस नई दुनिया में खो जाती थी।दूसरी ओर अंजना हेनरी को अपने लेखन का अनुवाद करके भेजती रहती,हेनरी भी पूरी रूचि के साथ अंजना के लिखे हुए को समझने की कोशिश करता,वो उसकी बुद्धिमता से काफी प्रभावित हो चुका था।अब हेनरी की हर ख़ुशी में अंजना की भागीदारी सुनिश्चित हो चुकी थी।
धीरे धीरे अंजना हेनरी के चुम्बकीय व्यक्तित्व से आकर्षित होने लगी।हेनरी के व्यवहार से उसे कभी विदेशी होने का आभास नहीं हुआ।हेनरी बहुत ही समझदार और ज़िंदगी के खूबसूरत रंगो से सजा एक गुलदस्ते जैसा था।अंजना और हेनरी एक दूसरे के लिये अलग ही किस्म का आकर्षण महसूस कर रहे थे जो दैहिक आकर्षण के समीकरण से कोसों दूर था।हमेशा एक दूसरे से बात करने की कोशिश, मेसेज का बेसब्री से इंतज़ार करना,एक दूसरे को खुश करने की होड़ में होना...एक अलग ही दुनिया में दोनों सिमटते जा रहे थे।हेनरी ढूँढ ढूँढ कर इंडियन तौर तरीके, बोलचाल आदि सीख रहा था।कोई भारतीय वीडियो अगर मिल जाता तो बड़ी खुशी के साथ अंजना से शेयर करता।हवाई द्वीप की खूबसूरत तस्वीरें वो अंजना को मेल करता रहता।उसकी हर खुशी में अब अंजना एक अभिन्न हिस्सेदार बन गई थी।अंजना की पसंद जानकर हेनरी नें बीफ खाना पूर्णतः बँद कर दिया था।प्रथम दृष्ट्या मामला प्रेम में होने का आभास करा रहा था लेकिन क्या सचमुच वो प्रेम ही था या सोशल मीडिया का छलावा मात्र!!
वक़्त बीतने के साथ दोनों महसूस करने लगे कि ये सिर्फ़आकर्षण मात्र नहीं..एक खूबसूरत अहसास है जिसमें एक दूसरे को पा लेने की कोई अभिलाषा नहीं..दूर दूर तक एक अनोखे अहसास का समंदर था जिसमें बारी बारी से दोनों खुशियों के खूबसूरत मोती चुनते जा रहे थे।अहसास की अजस्र धारा तमाम भौगोलिक सीमाओं को दरकिनार कर बहती ही जा रही थी।
"हैलो अंजना...ये देखो कैसा बना है ?
हेनरी नें एक ब्रेस्लेट की फोटो मेल की।ब्रेस्लेट बीड्स का था जिसमें अँग्रेजी के लेटर्स को जोड़कर अंजना और हेनरी नाम से ब्रेस्लेट तैयार किया गया था।ब्रेस्लेट बड़ी ही मेहनत से तैयार किया हुआ लग रहा था।अंजना फोटो देखकर कुछ समय तक तो कुछ भी बोल पानें में खुद को असमर्थ महसूस कर रही थी फ़िर खुद को सम्भालते हुऐ उसने हेनरी से कहा-
"इट्स ब्युटिफुल हेनरी..ये अब तक का सबसे कीमती तोहफ़ा है।"
"थेंक यू डियर..!यू नो ..कल एक कन्सर्ट था मेरे फेवरेट सिंगर का लाइव शो था..वही जिसका वीडियो मैंने तुम्हें भेजा था..।"
"हाँ याद आया हेनरी,तुमने बताया था।बहुत दिन से इंतज़ार था तुम्हें उसका.. !कैसा रहा कन्सर्ट ?"
"इट वज फेन्टेस्टिक..जब वो कन्सर्ट  अटेंड कर रहा था..आई वज फीलिंग समबडी वेरी क्लोज़ टू मी इन ईच सॉन्ग..।"
"ओह आई एम फीलिंग जेलस फॉर देट समबडी !"
"डोंट फील जेलस डियर... बीकॉज़ देट सम्बडी इज यू ओनली..।"
अंजना का चेहरा ये सुनते ही सुर्ख लाल हो गया।हेनरी नें इससे पहले कभी इस तरह खुल कर अपनी भावनायें प्रदर्शित नहीं की थी।एक लम्बी गहरी चुप्पी दोनों और छा गई।
"आर यू देयर अंजना ? यू नो कल देर रात तक जब मैं ये ब्रेस्लेट बना रहा था मेरे साथ मेरा एक फ्रेंड भी था..ही वज क्यूरियस टू नो अबाउट द नेम 'अंजना '।जब उसने पूछा तो मैं बस मुस्कुरा दिया।आई थिंक वो जान चुका.. देट आई एम फॉलिंग फॉर यू......"
"हेनरी इट्स टू लेट टुडे...वी विल टॉक टुमॉरो,बाई सी यू...।"
अंजना अचानक हुऐ इस परिवर्तन से हतप्रभ थी।उसके पास कोई उत्तर नहीं था।बहुत दिन तक अंजना नें लॅपटॉप व  इंटेरनेट का प्रयोग नहीं किया।कुछ दिन तक उसकी खुद से मौन जंग जारी रही।एक अजीब सा खालीपन उसने महसूस किया।वो हेनरी को 'मिस' कर रही थी...बहुत ज्यादा..।अंजना नें यकायक महसूस किया कि किसी अद्भुत अदृश्य शक्ति नें ज़िंदगी में पहली बार उसके मन पर दस्तक दी है और वो शक्ति कुछ और नहीं..प्रेम है.. हेनरी का प्रेम जिसमें वो आकंठ डूबी हुई है।अंजना के हाथ स्वतः लॅपटॉप पर चले गये।उसने हेनरी को इनबॉक्स किया।
"हेनरी...."
"अंजना...यू ओके डियर ?आई एम सो सॉरी...आई शुड्न्ट हेव बिहेव लाइक देट..।"
"हेनरी डोंट बी सॉरी..इन्फेक्ट आई एम सॉरी,मैंने बिना बताये 25 दिन तुमसे कोई कॉन्टेक्ट नहीं किया।"
"प्लीज़ डू नॉट फील एम्बेरेस्ड..इट्स ओके।"
"हेनरी आई वोंट टू कंफेस समथिंग टुडे...।"
"कंफेस ?"
"मैंने बहुत सोचा और मैं जान चुकी हूँ कि मैं तुमसे..... प्रेम करने लगी हूँ,क्या तुम भी...?"
"ओह डियर आई वज डाइंग टु हियर दिस फ्रॉम यू...ओफ्कोर्स आई लव यू...लव यू ए लॉट..आई विश यू वर हियर...आई जस वान्ट यू स्कूप अप राइट हियर एट माई प्लेस...एट हवाई...।"
"हेनरी आई एम सॉरी टु से.. बट इट सीम्स इम्पॉसिबल...मैं हवाई द्वीप नहीं आ सकती।मेरे पेरेंट्स मुझसे कभी बात नहीं करेंगे।यू रिमेम्बर आई टोल्ड यू..हम अपना साथी खुद नहीं चुनते..बल्कि परिवार के बड़े लोग चुनते हैं ।"
"ओह नो....।" हेनरी को इस उत्तर की जरा भी उम्मीद नहीं थी।
अंजना के लिये ये बहुत मुश्किल समय था।पारम्परिक परिवार में जहाँ धर्म ही नहीं जाति,गोत्र,वर्ण,समुदाय आदि अच्छी तरह जाँच परख कर रिश्ता तय किया जाता है एक अंजान दूर देश के लड़के के साथ आजीवन रिश्ता स्वीकार करना अंजना के परिवार की सोच से परे था।बी.कॉम समाप्त होते ही अंजना के लिये सजातीय रिश्ते आना शुरू हो गये ।हर दिन के साथ अंजना की दुविधा बढ़ती ही जा रही थी वो हेनरी के अलावा किसी और को जीवनसाथी के रुप में स्वीकार नहीं कर पा रही थी।उसने पढ़ाई के बहाने अपनी माँ से कुछ महीनों का समय माँगा।
"गुड इवनिंग अंजना..आई होप तुम अभी सोया नहीं..।"
मोबाइल पर हेनरी का मेसेज आया।
"हाहाहा.. ओह हेनरी! इतना टाइम हो गया हमें बात करते लेकिन तुम्हारी हिंदी ग्रामर अभी भी वैसी ही है..."अंजना नें छेड़ते हुए कहा।"यहाँ रात के 11.00 बजे हैं अभी...पर तुम इतनी जल्दी कैसे उठ गये ?तुम्हारी घड़ी में अभी तो सिर्फ़ 3.30 बजे होंगे ! "
"हाँ तुम सो जाता ना इसलिये मैं जल्दी उठ गया बात करनी थी तुमसे...।"
"प्लीज इतना मत सोचा करो मेरे लिये..कभी भी उठा सकते हो मैं थोड़ा देर से सो जाती,तुम मेरे लिये इतना जल्दी उठ सकते हो तो क्या मैं तुम्हारे लिये देर से नहीं सो सकती !!अब बोलो क्या बात है ?"
"अंजना..आई टोल्ड यू देट आई वांट टू बाय ए गुड क्वालिटी टेलिस्कोप विच विल कॉस्ट मी अराउन्ड 50000 डॉलर...एंड द गुड न्यूज इज....आई हेव अरेंज्ड द मनी ।"
"ओह माई गॉड...ये तो बहुत अच्छी ख़बर है..हेनरी ये सपना था न तुम्हारा..मैं तुम्हें बता नहीं सकती कि मैं कितनी खुश हूँ ये जानकर.."
"मैं भी खुश है बट ...."
"बट क्या हेनरी...?"
"बट आई थिंक...उन पैसों से इंडिया आना ज्यादा फायदेमंद रहेगा..मैंने हवाई से इंडिया आने के टिकिट्स देखें हैं आज ही..।"
"आर यू सीरियस हेनरी..?तुम इंडिया आ रहे हो?"
"येस तुम्हारे पेरेंट्स से बात करने।"
"लेकिन यूँ अचानक...सब ठीक तो है ना ?"
"येस एवरीथिंग इज ओके..मैं थोड़ा परेशान हूँ ।तुम कब तक अपने पेरेंट्स को मना करती रहोगी..कहीं ऐसा न हो तुम हमेशा के लिये मुझसे दूर हो जाओ और मैं देखता रहूँ..!"
"और तुम्हारा टेलिस्कोप खरीदने का सपना..?उसका क्या होगा..मैं जानती हूँ तुमने रात दिन एक करके मनी का प्रबंध किया है और अब जब तुम अपने सपने के इतने करीब हो तुमने प्लान कैंसिल कर दिया...ये सब क्या है हेनरी ?"
"अंजना...लिसन..ये बात सच है कि अड्वान्स्ड टेलिस्कोप लेना मेरा सपना था और अभी भी है लेकिन मेरे सपनों का अंत तुम पर होता है डियर..मेरे लिये फिलहाल तुम इम्पोर्टेंट हो..टेलिस्कोप के लिये मेहनत तो फ़िर से कर सकता हूँ।"
"हेनरी तुम हमेशा मुझे स्पीचलेस कर देते हो..काश मेरे पेरेंट्स को मैं बता सकती कि तुम कितने अलग हो बाकी दुनिया से..।"
हेनरी नें अपना सपना छोड़कर भारत आना चुना।एक नया लक्ष्य और नई चुनौती उसके सामने थी।
हेनरी भारत आ चुका था।उसने बहुत बार अंजना के दिए हुए फोन नंबर पर संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन हर बार नंबर बंद की सूचना ही उसे मिल पाती।बुरी तरह हताश होकर भी उसे एक उम्मीद थी कि अंजना जल्द ही उससे संपर्क करेगी।प्रतीक्षा करते करते पांच महीने बीत चुके थे।हेनरी रोज अपना मेल चैक करता लेकिन वहाँ से भी उसे निराशा ही हाथ लगती।
"अंजू ठीक तो होगी ना!"बार बार किसी अनिष्ट की आशंका से हेनरी का मन घबरा जाता।
"ओह जीसस !अब तो मेरे वीजा की अवधि भी ख़त्म होने वाली है..सिर्फ तीन महीने बचे हैं।मैं अंजना के बिना हवाई नहीं लौटना चाहता।कहाँ हो तुम ..प्लीज एक बार आ जाओ..प्लीज!! आई एम ऑलमोस्ट डेड !"हर दिन के साथ हेनरी की बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी।उसे महसूस हो रहा था कि वो किसी लंबी अँधेरी गुफा में है जिसका कोई छोर नहीं..बस चलते जाना है...लगातार..सिर्फ अंजना की रोशनी ही उसे दूसरी ओर लेकर जा सकती है।
एक दिन अचानक हेनरी को अंजना का मेल मिला।बुझे हुए हेनरी को जैसे सांसे मिल गई।
"हेनरी आई कांट एक्सप्लेन यू एवरीथिंग राइट नाउ।बट आई हेव टू टेल यू समथिंग.. आई गोट इंगेज्ड !वो इंजिनियर है...मेरा लेपटॉप,मोबाईल सब मुझसे ले लिया गया था।बहुत मुश्किल से आज मेल करने का मौका मिला।"
अंजना नें अपनी एक तस्वीर भी हेनरी को मेल की।
इतने दिन बाद अंजना का ये मेल हेनरी के लिए किसी वज्रपात से कम नहीं था।
"ओह कॉंग्रेट्स अंजना!!आई एम हैप्पी फॉर यू! बट यू आर लुकिंग चेंज्ड।ये नाक में क्या पहना है तुमने!"रिप्लाई में हेनरी नें लिखा।अपने दर्द को छुपाने के प्रयास में वह बात को बदलने की कोशिश कर रहा था।
"इसे बाली कहते हैं..लड़के वालों की तरफ से तोहफा है।पहनना जरुरी होता है।"अंजना का रिप्लाई स्क्रीन पर चमका।
"लेकिन तुम पर अच्छी नहीं लग रही।इट्स लुकिंग लाइक एक्स्ट्रा बर्डन ऑन योर फेस।"हेनरी की बातों में गुस्सा और जलन साफ़ ज़ाहिर हो रहे थे।
"हाँ,अतिरिक्त भार ही तो है !"अंजना नें छोटा सा उत्तर भेजा।
"आर यू हैप्पी अंजू?"
उधर से कोई रिप्लाई नहीं आया।
हेनरी को मेल रिप्लाई करने के बाद अंजना अपनी माँ से लिपटकर बहुत रोई।वह अपनी माँ के ज्यादा करीब थी।हेनरी से जुड़ी ज्यादातर बातें वह अपनी माँ के संग ही साझा करती।संयुक्त पारम्परिक परिवार में जहाँ एक साथ नौ लोग रहते थे,अंजना के लिए खुलकर अपनी बात कहना बेहद कठिन था।अंजना के पिता और ताऊ जी का परिवार एक ही छत के नीचे रहते थे।अंजना की दो छोटी बहनें और थी,जबकि ताऊ जी के परिवार में ताऊ व ताई के अतिरिक्त एक बेटा था।
"माँ क्यूँ कर रहे हैं सब मेरे साथ ऐसा?आपको पता है हेनरी सिर्फ मेरे लिए भारत आया है,अपना सपना तक उसने दांव पे लगा दिया और मैंने ?मैंने क्या किया ?हार मान गई !"अंजना नें सुबकते हुए कहा।
"बेटी मैं समझती हूँ तेरी तकलीफ को,लेकिन समझने की कोशिश कर..तेरे बाद दो छोटी बहनों का ब्याह भी करना है।तेरे पिता अकेले ये सब नहीं कर पाएंगे।एक क्लर्क की तनख्वाह से घर भी नहीं चल पाता,शादी ब्याह तो कर्ज लेकर करना पड़ता...तेरे ताऊजी ऊँचे ओहदे पर हैं,शुक्र है उनकी वजह से आज तुम तीनों पढ़ लिख गई हो,और आज अच्छे परिवार में तेरी शादी तय हो गई है।"
"तो माँ ,आपने क्यूँ नहीं ज्वाइन की बैंक की नौकरी?अगर आज आपकी नौकरी होती तो इस तरह हमें समझौतों से भरी जिंदगी जीने को मजबूर नहीं होना पड़ता।"
"बेटी,ये बात न तो तेरे पिता को पसंद थी और न ही तेरे ताऊजी को।आज से बीस वर्ष पहले जब बैंक में मेरी नौकरी लगी तब ये बात तुम्हारे पिता को सबसे ज्यादा नागवार गुजरी कि औरत होकर मैं नौकरी करने जाऊंगी तो समाज में उनके परिवार की कोई इज्जत नहीं बचेगी।तू जानती है तेरे पिता उस वक्त बेरोजगार थे।
"माँ कभी कभी मुझे बहुत खिन्नता महसूस होती है समाज के दकियानूसी तौर तरीकों पर।एक स्त्री अगर ओहदे में पुरुष से ज्यादा कमाऊ या योग्य है तो वह समाज की आड़ में बहिष्कृत कर दी जाती है,किसी भी तरह से उसे पुरुष के पांव के नीचे रहने को मजबूर किया जाता है।ये कैसा समाज है माँ! "
"जैसा भी है बेटी, इसी में रहना होगा।समाज से बाहर कोई जिंदगी नहीं।मैं तेरे ताऊजी की जिंदगी भर अहसानमंद रहूंगी।"
"बस करो माँ मैं जानती हूँ ये ताऊजी का अहसान नहीं हम पर बल्कि मेरी शादी के जरिये वो अपने बेटे का भला कर रहे हैं।"
"चुप कर अंजू! किसी नें सुन लिया तो मुसीबत आ जायेगी।"परदे लगाते हुए माँ नें कहा।
"तो सुनने दो न आज,ये बात आप भी जानती हैं कि साकेत भैया का तलाक क्यूँ हुआ,कोई भी लड़की भला कब तक अपने पति के बदचलन तौर तरीकों और रोज की मारपीट को सहन करेगी!! तलाक के बाद भैया के लिए और कोई लड़की मिल नहीं रही थी। मैं ये भी जानती हूँ कि जिस लड़के से मेरी शादी तय की गई है उसकी बहन के साथ भैया का रिश्ता तय किया जायेगा...।"
"तुझे ये सब कैसे मालूम?"विस्मित होकर माँ नें पूछा।
"बस मालूम है"।अंजना नें कहा।"लड़के के पिता और ताऊजी एक ही महकमे में है।सांठ गांठ करके ताऊजी नें उन्हें तरक्की दिलाने का वचन भी दिया है,और पता है माँ ! अहसान के इस पवित्र यज्ञ में मुझे आहुति बनाया गया है।"
"माँ,मैं कभी आपको ये बात नहीं बताना चाह रही थी,लेकिन मुझे लगता है अगर आज मैं चुप रही तो जिंदगी भर मुझे आप की तरह बंद दरवाजों के पीछे अपनी जिंदगी बसर करनी होगी...मैं सबकुछ चुपचाप आप को खातिर सहन कर लेती लेकिन अर्जुन...."अंजना कहते कहते अचानक रुक गई।
"क्या बात है अंजू ? तू कुछ छुपा रही है मुझसे ! मेरी कसम है तुझे..सच सच बता..।"
"माँ दरअसल अर्जुन से मेरी बात हुई फोन पर..उसने कहा कि वो शादी मज़बूरी में सिर्फ अपने पिता के कहने पर कर रहा है,वो किसी और विजातीय लड़की के साथ पिछले पाँच सालों से सम्बन्ध में है और शादी के बाद भी रहेगा,ये बात उसने जोर डालकर मुझसे कही है.. अंजना कहती चली गई। "माँ,उसे मेरे सांवले रंग से सख्त एतराज है..उसने कहा कि शादी के बाद वो मुझे किसी भी फंक्शन में साथ लेकर नहीं जा पायेगा,ऐसा करने से उसकी सारी प्रतिष्ठा धूमिल हो जायेगी!"
"बेटी ये क्या कह रही है तू !!"
"हाँ, मैं बिल्कुल सच कह रही हूँ।चाहो तो अभी आपको अर्जुन और मेरी बीच की बात रिकॉर्डर से सुना सकती हूँ।यहाँ तक कि उसे मेरे लिखने पढ़ने से भी सख्त परेशानी है,उसने साफ़ कहा है कि शादी के बाद ये सब नहीं चलेगा,हमारे घर की बहुएं इस तरह की तुच्छ चीजें नहीं करती।माँ,अब आप ही बताइए मैं क्या करूँ?मैं जीते जी घुटन से मरना नहीं चाहती।"कहते कहते अंजना का गला भर आया।
अंजना की माँ बुत बन गई मानो किसी नें उसके पांवों के नीचे की ज़मीं को हिला दिया हो।रात के पहर करवटों में बीतते जा रहे थे और एक एक कर किसी फ़िल्म के फ्लैशबैक की तरह पुरानी घटनाएं उसकी आँखों के सामने आती जा रही थी।लेकिन ये सब कुछ हक़ीक़त था कोई फिल्म नहीं..उसकी अपनी बेटी के साथ वही सब पुनरावृति होने जा रही है।
"कितने अरमान संजोये थे मैंने अपनी शादी के लिए! एक एक कर सब बिखरते चले गए..मेरे अंदर की लेखिका को समाज की वेदी पर बलि दे दिया गया।कैसे भूल सकती हूँ वो शब्द जो मेरी प्रथम प्रकाशित रचनाओं पर मेरे जेठ और ससुर नें कहे थे!!"सुमन, ये सब पोथियां किसी रद्दी वाले को बेच दो और बच्चे संभालो..बहुत हो गई लिखाई पढ़ाई..और वैसे भी ये मान सम्मान,पद,प्रतिष्ठा औरतों को शोभा नहीं देती,इसके लिए तेरा पति ही काफी है।क्यूँ पैसों की बर्बादी में लगी हुई हो!अपने परिवार को समय दो।औरतें घर गृहस्थी संभालती हुई ही अच्छी लगती हैं,मर्दों की बराबरी करके मर्द तो नहीं बन जाओगी!!"
और जब मेरे लिए बैंक की नौकरी का प्रस्ताव आया..कितनी खुश थी मैं ये सोचकर कि अब सारी आर्थिक समस्याओं का निदान हो जायेगा,सब लोग कितने खुश होंगे मेरी नौकरी की खबर सुनकर लेकिन...घर में जैसे मौत सा सन्नाटा छा गया था! दिनेश को ये नौकरी का प्रस्ताव नहीं बल्कि समाज में खिल्ली उड़ने का प्रस्ताव पत्र नजर आ रहा था।
नहीं...मैं ये कभी नहीं होने दूंगी..बस बहुत हुआ जो कुछ भी अतीत में मेरे साथ हुआ वो मैं अपनी बच्ची के साथ हरगिज़ नहीं होने दूंगी,चाहे इसके लिए मुझे सारी दुनिया से लड़ना पड़े।आखिर कब तक बेबुनियाद रिश्तों और समाज के नाम पर औरत की बलि दी जायेगी..क्या हम स्त्रियां सिर्फ़ इसलिए पैदा होती हैं कि हमें जब चाहो तब एक मिट्टी की गुड़िया की भाँति तोड़ मरोड़ दिया जाए!
अगले दिन प्रातः अंजना की माँ नें पुराने संदूक से अपनी साहित्यिक किताबें निकाली..उनपर छाई सदियों की धूल को झाड़ा।एक डायरी भी निकली जिसमें सैंकड़ों कविताएं कहानियां लिखी थी,नीचे लिखा नाम 'सुमन सक्सेना' नीली स्याही में आज भी उतना ही चमकदार दिखाई दे रहा था।एक लंबी सी मुस्कान अनायास ही सुमन सक्सेना उर्फ़ अंजना की माँ के चेहरे पर छा गई।
पास ही खड़ी अंजू ये सब देख रही थी..उसकी आँखें आज ख़ुशी से नम थी।
अंजू मेरी बात ध्यान से सुन...कल हम दोनों शॉपिंग के बहाने से घर से बाहर निकलेंगे,मैं हेनरी से एक बार मिलना चाहती हूँ।माँ हूँ आखिर !तसल्ली हुए बिना अपने कलेजे की कौर को किसी को नहीं सौंपूंगी।
अंजू के चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान छा गई।वह तुरंत अपनी माँ से लिपट गई।
ठीक है माँ,हेनरी से मेरी बात नहीं हो पा रही इन दिनों..लेकिन मैं इतना निश्चित हूँ कि वो अभी उत्तराखंड ही होगा।मैं अभी उसे एक मेल डालती हूँ।
नियत समय व स्थान पर तीनों मिले।हेनरी पहले ही आ चुका था और अंजू के आने की प्रतीक्षा कर रहा था।कई तरह के सवाल और बेचैनी उसके दिल दिमाग पर हावी हो रहे थे।
"आखिर अंजू नें यूँ अचानक इमरजेंसी बोलकर क्यूँ बुलाया..सब ठीक तो है न?पता नहीं उसके परिवार में उसके साथ कैसा बर्ताव किया जा रहा होगा,ये सब मेरी वजह से हुआ है..क्या करूँ मैं अंजू को परेशान भी नहीं देख सकता।"
'हेनरी'...
अंजू की आवाज नें जैसे हेनरी की तंद्रा को तोड़ दिया हो।
"हेनरी ...सरप्राइज फॉर यू..".अंजना नें चहकते हुए कहा।"इनसे मिलो ये मेरी सबसे अच्छी दोस्त मेरी सबकुछ...मेरी माँ हैं।"
अंजना की माँ को देखकर एक बार के लिए हेनरी सकपका गया फिर खुद को संभालते हुए माँ के चरण स्पर्श करने लगा।
अंजना की माँ को इस अभिवादन की आशा नहीं थी,वो मन ही मन काफी खुश हुई लेकिन ये क्षणिक छलावा भी हो सकता है यह सोचकर अपने उत्साह को प्रदर्शित नहीं होने दिया।
हाँ तो हेनरी जी आप मेरी बेटी से विवाह करना चाहते हैं?सुमन सक्सेना नें सीधे सवाल दागा।
'यस...जी...मैं करना चाहता हूँ..।'हेनरी को शुरुआत में ही इस प्रश्न की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी।वो काफी घबराया हुआ महसूस कर रहा था।
'लेकिन मेरी बेटी ही क्यों?आपको अपने देश की ही किसी सुयोग्य लड़की से शादी करनी चाहिए थी..!'माँ के इस सवाल पर अंजना नें हैरान परेशान नजरों से अपनी माँ को देखा,मानो वो अपनी माँ के मन की बात सीधे सीधे खोज निकाल लेना चाहती हो।
'जी,मैं आपको ओनेस्टली सब सच बताऊंगा, एक्चुअली मैं मैरिज जैसी किसी संस्था को मानता ही नहीं था...' दोनों ओर एक लंबी चुप्पी के बाद हेनरी नें बात जारी रखते हुए कहा..
लेकिन भारत को जानने के बाद,यहाँ की कल्चर से जुड़ने के बाद मैंने इसके मूल्य को समझा।फिर अंजना से मिलकर मुझे बिलीव हो गया कि मैरिज सिर्फ दो इंसानों के बीच का समझौता नहीं बल्कि दो विचारधाराओं का मिलना है,प्रेम का मिलना है।मैं जिस देश में रहता हूँ वहाँ विवाह करना जरुरी नहीं है,विवाह के बिना भी साथ रहकर आपसी सहमति से रहा जाता है,बच्चे भी पैदा किये जाते हैं और ये सब क़ानूनी तरीके से मान्य है।अंजना से पहले मेरी जिंदगी में कायली नाम की एक लड़की थी,हम कुछ वर्ष साथ भी रहे,लेकिन मैंने कभी प्रेम जैसा अनुभव नहीं किया।हम दोनों किसी समझौते के तहत समय बिताने वाले वो दो लोग थे जिन्हें एक मशीन की तरह एक दूसरे को भोगकर अपना स्वार्थ सिद्ध करना था,वहाँ प्रेम के सिवाय सब कुछ था,कायली को कुछ समय बाद मुझसे अरुचि हो गई और वो चली गई।मैं किसी सूखे रेगिस्तान में पानी की तलाश में निकला वह मुसाफ़िर बन गया था जिसके सामने मृगतृष्णा रूपी असंख्य जरिये थे जहाँ आत्मा की प्यास बुझाना असंभव था...मुझे आत्म तृप्ति के लिए सुकून के किसी स्त्रोत की आवश्यकता थी।उसी सुकून की तलाश में मैं भारत के उत्तराखंड स्थित सांस्कृतिक संस्थान में कुछ समय के लिए ठहरा,सच कहूं तो वहीं से मेरी तलाश को एक ठहराव मिला।भारत से मैं एक अजीब सा जुड़ाव महसूस करता हूँ,मैं रिसर्च का एक विद्यार्थी हूँ और मन में यही इच्छा है कि बाकि जिंदगी भी भारत की गोद में ही बीते।अंजू से मिलकर मुझे यही लगा कि हम एकदूसरे के लिए ही बने हैं,इसके परिपक्व विचारों में पूरा भारत समाया हुआ है।मैं चाहता हूँ ये खूब लिखे,एक स्वतंत्र पक्षी की तरह विचारों के आसमां में अपने पर फैलाये।मुझे गर्व होता है कि अंजू मेरी जिंदगी में आयी और मुझे सही मायने में प्रेम का मतलब महसूस कराया।मैं नहीं जानता कि मैं अंजू के लिए सही व्यक्ति हूँ या नहीं लेकिन मैं....."
'आप बिल्कुल सही व्यक्ति हैं मेरी अंजू के लिए...'सुमन सक्सेना नें हेनरी की बात को बीच में ही रोककर कहा।
अंजू ,आज मुझे यकीं हो गया तू सचमुच सयानी हो गई रे..! मुझे तेरे चयन पर गर्व है।प्रेम शाश्वत है,यह देश,धर्म,भाषा और संस्कृति से ऊपर है..प्रेम इंसान को ऊपर उठाता है..गिराता नहीं।तू मेरी तरफ से स्वतंत्र है।मैं तेरी दोनों छोटी बहनों को भी खूब पढ़ाऊंगी,उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करुँगी।और अब अपने स्वाभिमान को ताक पे रखकर खोखले लोगों से जरा भी विचलित नहीं होउंगी।
सुमन और अंजना की आँखों में आज ख़ुशी के आंसू थे।पास ही खड़ा हेनरी धीमे धीमे मुस्कुरा रहा था।आज उसे अंजू के रूप में सुकून का स्त्रोत मिल चुका था।

अल्पना नागर©

















1 comment:

  1. Waaaah..ek se badhkar ek...kai dino baad aaj aap ki kaahaniyon ka aanad mil raha hai...adbhut srujan! Keep it up!

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