हायकू
(1)
कभी रुके न
समय मुसाफ़िर
चलते जाना
(2)
सूखे गुलाब
जीवन की साँझ में
हरा बसंत
(3)
सम्बन्ध घास
अहंकार की आग
अंततः खाक
(4)
रूठना तेरा
वसंत समय का
शिशिर होना
(5)
वो इन दिनों
लबालब भरे हैं
खालीपन से
(6)
कोरा कागज़
पढ़ लो जरा तुम
भाव के मोती
(7)
तुम्हारा जाना
घड़ी की टिक टिक
ठहरा वक्त
(8)
शीत ऋतु में
मुट्ठी भर धूप सी
उजली यादें
अल्पना नागर
(1)
कभी रुके न
समय मुसाफ़िर
चलते जाना
(2)
सूखे गुलाब
जीवन की साँझ में
हरा बसंत
(3)
सम्बन्ध घास
अहंकार की आग
अंततः खाक
(4)
रूठना तेरा
वसंत समय का
शिशिर होना
(5)
वो इन दिनों
लबालब भरे हैं
खालीपन से
(6)
कोरा कागज़
पढ़ लो जरा तुम
भाव के मोती
(7)
तुम्हारा जाना
घड़ी की टिक टिक
ठहरा वक्त
(8)
शीत ऋतु में
मुट्ठी भर धूप सी
उजली यादें
अल्पना नागर
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