Sunday 3 January 2021

हृदय का धड़कना

 मेरा हृदय धड़कता है


मेरा हृदय धड़कता है

समय के फ़लक पर

पूरे खिले चाँद की मानिंद/

जीवन अम्बुधि पर

उठती गिरती लहरों के सीने पर..


कोई आता है

नींद को स्वप्न की नदी में डुबोकर

रात के कैनवास पर 

हौले से पोंछता है गहरा रंग

उजाले की आड़ी टेढ़ी रेखाओं में

स्पंदन करती कलाकृति सा

मेरा हृदय धड़कता है..


जब ऊँघने लगती है पृथ्वी,

बेसुध होने लगता है समुद्र और

धीमी पड़ने लगती है नक्षत्रों की चाल

तुम जागे रहते हो

वक़्त के पीले जर्द पत्तों पर

संगीत सी सुनाई देती है

तुम्हारे कदमों की आहट/

जैसे ठहरा हुआ हो रास्ता

और गुजर रहा हो कोई प्रेमी

किसी अगम की तलाश में

जो लगभग भूल गया है थकना !


घोर शीत होती दुनिया में

जहाँ हृदय को सीने से निकाल

लटका दिया है बीच चौराहे पर/

जहाँ फसलों नें किया है फैसला

कभी न फलने का फैसला..

कदमों तले छूटती जा रही है पृथ्वी,

अंधी हवाएं गुर्रा रही हैं 

जैसे चला रही हो हर दिशा में हंसिया/

ऐसे में मेरे हृदय!

मुझे विस्मित करता है

तुम्हारा लगातार धड़कते रहना..!


- अल्पना नागर




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