Saturday 17 December 2016

कौन हो तुम ?

कौन हो तुम ?

आ बसे हो नयन दल में
ज्यों खिला हो कमल जल में
कौन हो तुम ?

हर घड़ी है उर में झंकृत
जलतरंग सा कोई
नेह हीन जीवन उपवन में
सुर लहर सा कोई
हे प्रिये कुछ तो कहो क्यूं
मौन हो तुम ?

श्रद्धा पूरित थाल सजा है
मन में इक विश्वास जगा है
मधुर मिलन के आस का दीपक
सुलग रहा है दग्ध ह्रदय में
मेरे मन की वीणा पूछे
कौन हो तुम ?

आत्म का आह्वान हो या
प्रेरणा का पुंज कोई
अधरों की मुस्कान हो या
सुख ह्रदय का कुंज कोई
हे प्रिये अब जान चुकी हूँ
कौन हो तुम !

अल्पना नागर


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