बार्बी डॉल
वो कहते हैं तुम्हे
बार्बी डॉल
सजी संवरी/
प्यारी सी स्नेहिल गुड़िया
सब कुछ ठीक है
तुम्हे कोई शिकायत नहीं
अच्छी बात है !
होनी भी नहीं चाहिए..
गुड़िया भी कभी शिकायत करती हैं !!
तुम प्यारी हो
जमाने से कदमताल करती
'अल्ट्रा मॉडर्न' हो..
लेकिन हो तो तुम गुड़िया ही..!
तुममें पहले से डाले गए हैं
कुछ 'प्रोग्राम्स'
अपने हिसाब से/
'वैल कंट्रोल्ड'...
इसके इतर जाना संभव न होगा
तुम्हारे लिए..है न !!
ये जो चिकना रास्ता
मुहैया कराया गया है तुम्हे
रैम्प है..शानदार चमकता हुआ रैम्प..
चारों ओर रोशनियां
आवाजों से घिरा तुम्हारा वजूद..
जहाँ करना है तुम्हे
मूक प्रदर्शन..
अपनी आवाज को म्यूट करके !
इस चिकने रास्ते पर चलने की
आदत है तुम्हे/
बिना लड़खड़ाए
नियंत्रित सधे कदमों से/
लेकिन हर बढ़ा हुआ कदम
धकेल देता है तुम्हे
पीछे की ओर..!
फर्क सिर्फ इतना है
इस रैम्प पर तुम आती हो
उजाले से अंधेरे की ओर..
अंधेरे में बजती तालियां
चेहरे रहित लोग
और तुम
उसी अंधेरे का एक हिस्सा मात्र !
किसी रोज खत्म हो जाएगी
तुम्हारी चमक
साथ ही हो जाएगी
बैटरी डाउन/
उस रोज क्या करोगी..!
सोचा है कभी !!
कैसे सोचोगी..! गुड़िया जो हो..!
इससे पहले कि हो जाये
सब खत्म/
ढूंढो अपने अंदर छिपे
'कंट्रोल बटन' को..
और निकल आओ
गुड़िया से बाहर !
उजाला तुम्हारी प्रतीक्षा में है..
अल्पना नागर
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