लेख
गीत संगीत
सम्पूर्ण जीवन को अगर गीत संगीत की संज्ञा दी जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।इसमें एक निरन्तर प्रवाहमान लय है..इसकी अपनी धुन है राग है..आत्मा को स्पंदित करता मधुर संगीत है।बस जरूरत है तो उसे पहचानने की..उसकी शाश्वत धुन में स्वयं के अस्तित्व को खोजने की..उसकी लय के संग व्यक्तित्व को प्रवाहमान बनाये रखने की।जीवन के हर नए मोड़ पर धुन बदल जाती है।बचपन किसी जैज म्यूजिक सा चंचल और जोशीला होता है।जवानी की सुनहरी धूप ओढ़ते ओढ़ते संगीत की धुन में भी सौम्य गर्माहट आ जाती है,थोड़ा रूमानी हो उठता है जीवन..आसपास की हर चीज तरंगित,मन प्रफुल्लित.. किसी सुकोमल मधुर स्वप्न सा जीवन का वो दौर बेहद संगीतमय होता है।एक धुन सी दौड़ रही होती है अपने आसपास और धीरे धीरे कब आप उस धुन को गुनगुनाते हुए उस संगीत का हिस्सा बन जाते हो पता ही नहीं लग पाता।इसी तरह जीवन के अंतिम पहर में संगीत भी थोड़ा प्रौढ़ हो जाता है।स्वरलहरियों में शास्त्रीय संगीत सी नियमितता आ जाती है।यही जीवन है जिसने भी इस धुन को अपने अंदर से खोज निकाला है निस्संदेह उसका जीवन विभिन्न रागों का सुंदर समुच्चय है।
अक्सर यही होता है संगीत हमारे आसपास किसी इत्र की तरह बिखरा होता है और हम दुनियादारी का रुमाल नाक पर ओढ़ निकल लेते हैं।हमारे पास समय ही नहीं होता कि कुछ देर ठहरकर उस संगीत का आनंद लिया जाए !हर समय एक अनाम सी भागदौड़ हमें घेरा बनाकर घेरे हुए होती है जहाँ चाहकर भी संगीत प्रवेश नहीं कर पाता।
बारिश की घुँघरू बूँदों में धुन है..सुबह की खूबसूरत शुरुआत में धुन है..सूरज का रोज आना और नींद के नगर से जिंदगी को जगाना..रोशनी के छींटों से संसार भर को जगमगाना..चांद का बादलों में लुका छिपी खेलना.. रोज छत पर नई नई कहानियां बुनना..दूर से कहीं आती रेलगाड़ी की सीटी.. गृहिणी की रसोई में स्वाद से भरे कुकर की सीटी की धुन..किसी बच्चे की निश्चल खिलखिलाहट में दौड़ती धुन, डिजिटल दुनिया में बहुप्रतीक्षित किसी संदेश का आना और मन में अचानक उठी एक कुहुक भरी धुन..दूर से आती अज़ान और मंदिर की घंटियों की धुन..विचारों में डूबी रात के सन्नाटे को तोड़ते झींगुरों की धुन..भागती जिंदगी में समय निकाल कर कभी वीकेंड पर किसी जरूरतमंद की मदद के बाद मन से निकली सुकून भरी धुन..!बस धुन ही धुन..जरूरत है तो सिर्फ सुनने की और महसूस करने की।
कभी गौर किया हो तो पियानो में भी काला और सफेद रंग जिंदगी के उतार चढ़ाव भरी धुन को ही दर्शाते हैं।दोनों का साथ होना कितना जरूरी है अन्यथा धुन ठीक से निकलेगी ही नहीं।सुख दुःख भी इसी तरह के लंगोटिया यार हैं एक के बिना दूसरे का कतई गुजारा नहीं..!
कृष्ण की मुरली की धुन के बारे में कौन नहीं जानता।वो जब एकाग्र मन से मुरली बजाते थे तब इंसान तो क्या पशु पक्षी पेड़ पौधे चराचर जगत सभी मुग्ध होकर उनकी धुन में समाहित हो जाते थे।कहा जाता है कि गायें मुरली की धुन सुनकर स्नेह में इतना डूब जाती थी कि दूध स्वतः प्रवाहित होने लगता था।हैरत होती है कि एक साधारण से ग्वाले नें किस तरह अपने व्यक्तित्व में छिपी धुन से सम्पूर्ण जगत को जीत लिया था।दुनिया के तमाम असाधारण लोग किसी न किसी अंदरूनी धुन के धनी होते हैं,उसी राह पर जीवन भर चलते हैं और एक नया कीर्तिमान संसार के सम्मुख प्रस्तुत करते हैं।ये है संगीत की ताकत..कितनी मधुर सुकोमल..कितनी शक्तिशाली ! इसी तरह तानसेन के बारे में कहा जाता है।उनके दीपक राग के असर से असंख्य दीपक स्वतः प्रज्वलित हो उठते थे।बारिश होना शुरू हो जाती थी।ये सभी किवदंतियां है या हक़ीकत लेकिन इतना तो सत्य है कि संगीत में सकारात्मक परिवर्तन की अद्भुत ताकत होती है।एक प्रयोग के माध्यम से ये सिद्ध भी किया गया था..संगीत के असर से पानी की संरचना में बहुत ही खूबसूरत सा पैटर्न बना हुआ दिखाई दिया..यक़ीनन ये अद्भुत प्रयोग था..! हमारे शरीर का लगभग साठ प्रतिशत पानी ही होता है तो सोच कर देखिए मधुर संगीत का हमारे शरीर में मौजूद पानी पर कितना गहरा असर होता होगा।यही कारण है कि अच्छा संगीत हमारे बुरे से बुरे मूड को भी बदलने में सक्षम होता है।बस फिर सोच क्या रहे हैं..हो जाइए संगीतमय आज से ही !
एक तरफ अगर दुनिया में परमाणु आयुध है तो दूसरी तरफ संगीत की सकारात्मक हलचल है।निस्संदेह हम आज बारूद के ढेर पर बैठे हैं लेकिन उस बारूद को स्नेह भरी ऊर्जा में परिवर्तित करने की अगर किसी में सामर्थ्य है तो वह सिर्फ संगीत है..संगीत जीवन बदल सकता है..विचारों का दूषित प्रवाह बदल सकता है..संगीत सही मायनों में कभी न खत्म होने वाली शाश्वत ऊर्जा है।
स्वरचित,मौलिक
अल्पना नागर
बहुत खूबसूरत वह प्रेरणादायक लेख हैं
ReplyDeleteहार्दिक बधाई 💐💐💐