Friday 24 June 2022

आलेख

 

आधुनिक कविता और उसका प्रभाव

1850 के बाद लिखी गई कविताओं को आधुनिक कविता कहा जाता है।वह दौर परिवर्तनों से भरा हुआ दौर था।प्रथम स्वतंत्रता संग्राम,संचार के साधनों का विकास,आवागमन के साधनों द्वारा संपूर्ण भारत को एक इकाई के रूप में जोड़ा जाना क्रन्तिकारी परिवर्तन था।छापेखाने के आविष्कार से पत्र पत्रिकाएं व समाचार पत्र की पहुँच घर घर में होने लगी,इसी तरह रेडियो टीवी ,शिक्षा आदि के द्वारा भी सोच में सकारात्मक परिवर्तन हुए जिसने आधुनिक कविता के प्रादुर्भाव में महत्वपूर्ण योगदान दिया।आधुनिक कविता विभिन्न तरह के आंदोलनों से होकर गुजरी।सर्वप्रथम छायावादी युग,अज्ञेय युग,प्रगतिवादी युग,प्रयोगवादी युग,से होते हुए आधुनिक कविता नयी कविता के दौर में पहुंची जिसने अब तक के सभी प्रतिमानों को तोड़कर नवीन युग का प्रारंभ किया।छायावादी युग से पूर्व पद्य भारतेंदु युग व द्विवेदी युग में विभाजित था।
नयी कविता सर्वप्रथम 1953 में इलाहाबाद से प्रकाशित पत्रिका 'नए पत्ते' में दिखाई दी।
नई कविता की प्रमुख विशेषता ये है कि यह किसी विशेष शिल्प या वाद में बंधकर नहीं चलती।शिल्प को प्रधानता न देकर भावों को प्रमुखता दी गई है,परंपराओं से विलग नई कविता में नवीन बिम्बों,उपमाओं,उपमानों,प्रतीकों आदि का भरपूर प्रयोग दिखाई देता है जो नई कविता को ताजगी से ओतप्रोत करने में भी सहायक होता है।आधुनिक कविता में संप्रेषण के माध्यम से ज्यादा संप्रेषण को महत्व दिया गया है।आधुनिक कविता में भाषा का आकाश अनंत है यह किसी एक पद्धति में बंधा हुआ नहीं है,नई कविता विभिन्न बोलचाल के तद्भव,तत्सम,अंग्रेजी,संस्कृत आदि सभी शब्दों को चुनकर लोक जीवन की अनुभूतियों को सहजता से स्वीकार करती है।आधुनिक कवि यथार्थ जीवन से विभिन्न तथ्यों को उसी रूप में स्वीकार करता है जिस रूप में वह अनुभव करता है,किसी तरह का कोई बनावटीपन नहीं।
भवानीप्रसाद मिश्र के शब्दों में -
"जिस तरह हम बोलते हैं उस तरह तू लिख,और उसके बाद भी हमसे बड़ा तू दिख।
कितनी सहजता व सारगर्भित तरीके से मिश्र जी नें अपनी बात संप्रेषित कर दी!कविता का मुख्य उद्देश्य अभिव्यक्ति होता है,बिना लाग लपेट का एक सरल व सहज वाक्य पाठक को कल्पना के अगले वाक्य तक ले जाता है,एक अटूट तारतम्य बंधता चला जाता है।आडंबर से पूर्ण पांडित्य भरी आलंकारिक कविताएं सुनने में व देखने में अवश्य अच्छी लगती हैं किन्तु कई बार ये आम पाठक की समझ से परे होती हैं ठीक जैसे पानी की अधिकता होने पर बाढ़ की स्थिति हो जाती है लेकिन रिमझिम फुहारों से न केवल मन भीगता है अपितु वह पानी धीरे धीरे जमीन में अवशोषित होकर लाभकारी भी होता है।आधुनिक कविता पर आक्षेप है कि यह पश्चिम की नकल पर आधारित है,इसी वजह से नई कविता में नकारात्मकता,जीवन के प्रति उदासीनता आदि भाव देखने को मिलते हैं किंतु यह आक्षेप पूर्णतः सत्य नहीं है अगर हम विभिन्न आधुनिक कवियों जैसे अज्ञेय,धर्मवीर भारती,भवानीप्रसाद मिश्र,रघुवीर सहाय,केदारनाथ सिंह,नेमीचंद जैन,केदारनाथ अग्रवाल ,गजानंद माधव मुक्तिबोध,नागार्जुन,रामदरश मिश्र,भारतभूषण अग्रवाल आदि को पढ़े तो पता चलता है कि नई कविता निषेध पर आश्रित न होकर जीवन के प्रति आस्थावान कविता है,जीवन की विभिन्न विसंगतियों के बावजूद जीवन में हर्षोल्लास है, इसी खोज को तरह तरह के प्रयोगों के माध्यम से कविता में लाना आधुनिक कविता की मुख्य विशेषता है।उपरोक्त सभी कवियों में जनसामान्य के जीवन को ,समाज के अभावग्रस्त व परित्यक्त व्यक्तियों की पीड़ा को अपनी कविता में चित्रित किया है,आधुनिक कविता जन सामान्य की उपेक्षा नहीं करती अपितु उनके साथ हुए सामाजिक अन्याय व परिणामतः अभावों की स्थिति के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करती है व उन्हें सम्मानजनक,संतोषजनक स्थान दिलाने के लिए भी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करती है।नई कविता माँ के हाथ के खाने की तरह सहज व स्वाभाविक है,हम तमाम तरह के चटपटे विदेशी पकवान खाकर भी कई बार अतृप्त महसूस करते हैं किन्तु माँ के हाथ के बने साधारण खाने से विशेष किस्म का जुड़ाव महसूस करते हैं।नई कविता भी ऐसी ही है,एकदम सहज व सरल,जिसमें स्वाद यानि अनुभूति व बुद्धि को महत्व दिया गया है न कि विभिन्न मसालों यानि छन्द, वाद या विधान को।नई कविता मनुष्य व समाज को केंद्र में लेकर आयी है।कविता को रोचक व संप्रेषणीय बनाने के लिए विभिन्न तरह के प्रयोग भी आधुनिक कविता में किये गए हैं।मुक्तिबोध जी नें तो कविता में पौराणिक व वैज्ञानिक तथ्यों को भी प्रमुखता से स्थान दिया है।आधुनिक कविता की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि यह साधारण शब्दों में भी गहरे अर्थ संप्रेषित करने की क्षमता रखती है,कई बार कवि अपनी कविता में विभिन्न सन्दर्भों को डालते हैं जिसके लिए पाठक का वृहत ज्ञान होना आवश्यक हो जाता है किंतु इससे संप्रेषण में बाधा उपस्थित नहीं होती अपितु ज्ञान क्षेत्र में ही वृद्धि होती है।नई कविता यथार्थ व बौद्धिक होते हुए भी संवेदना से शून्य नहीं है,इसकी संभावनाएं अंतरिक्ष की भांति अपार व अनंत हैं।
आधुनिक कविता में जीवन की सूक्ष्म से सूक्ष्म वस्तु के लिए भी जिज्ञासा है,नई कविता का दायरा सीमित नहीं है,यह अपनी उड़ान के लिए खुला नीला आसमान चाहती है जिसकी कोई सीमा नहीं,बंधनों से मुक्त अभिव्यक्ति चाहती है,जिसमें सहजता से अनुभूतियों को पाठक के हृदय तक संप्रेषित किया जा सके।उसकी सीमा में अणु से लेकर अनंत आकाश की गहराइयां समाहित हैं।नई कविता आज विश्व की समृद्ध कविताओं में गिनी जाती है।
आजादी के बाद की कविताओं में रघुवीर सहाय की कविताएं प्रमुख हैं जिनमें लोकतंत्र के ढीले तौर तरीकों से लेकर दंगों, हिंसा,बेरोजगारी,नव धनाढ्य संस्कृति आदि को प्रमुखता से दर्शाया गया है।उनकी एक कविता 'फूट' की कुछ पंक्तियां देखिये-
"हिन्दू और सिख में
बंगाली असमिया में
पिछड़े और अगड़े में
पर इनसे बड़ी फूट
जो मारा जा रहा और जो बचा हुआ
उन दोनों में है।"
हम देख सकते हैं कि कितनी सहजता से रघुवीर जी नें आम आदमी की पीड़ा को व्यक्त किया है।पाठक सोचने पर विवश हो जाता है और यही अच्छी कविता की विशेषता होती है,गहरे तक उतारना और समाहित हो जाना।
आधुनिक कविता का प्रभाव जनजीवन पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।समय के साथ तौर तरीके भी बदलते हैं,आधुनिक कविता नें गेयता व लयात्मकता की परंपरा को तोड़ा है,जिससे इसका कलापक्ष अवश्य प्रभावित हुआ है किंतु लय, छन्द आदि से विहीन होने पर भी इसका बौद्धिक पक्ष और भी मजबूत हुआ है।वर्तमान में जिस तरह की तेज रफ़्तार जीवन शैली है उसे देखते हुए आधुनिक कविता अपने उद्देश्य में पूर्णतः सफल है।आधुनिक कविताएं इसलिए भी लोकप्रिय होती जा रही हैं क्योंकि वे सीधी सादी भाषा के माध्यम से संप्रेषित होती हैं,उनमें किसी तरह का आडंबर या बनावटीपन नहीं होता,पाठक सहज रूप से स्वयं को कविता के साथ अनुभव करता है।लोक परिवेश से गहरा जुड़ाव व जनजीवन में अगाध विश्वास पाठकों को सहज ही लेखक से संबद्ध करता है,अनुभूति की कसौटी पर आधुनिक कविता खरी उतरती है।इसका अपना सौंदर्य ,आनंद व लालित्य है।

अल्पना नागर

No comments:

Post a Comment