*छंदमुक्त रचना*
*कवि*
"कवि "
कवि कौन है ?
एक स्वादविहिन
नितांत एकाकी मनुज
जिसकी अन्यमनस्कता
हताश करती है
नज़दीकी लोगों को !!
आक्षेप यहाँ तक हैं कि
समय का अकाल सर्वथा रहता है
कवि के पास
एक ही समय में घोर आशावादी
और निराशावादी के
चोले बदलता हुआ !!
चलिये मिलते हैं किसी कवि से ,
वो मिल जायेंगे आपको
एक छोटे मकान के
दालान में
विचारों की भूमि
तैयार करते हुऐ/
कुछ क्यारियों में
बीज डालते हुऐ
अंदर ही अंदर पनपते
छोटे बड़े पौधों से
मौन वार्तालाप करते हुऐ/
देखना वो मिल जायेंगे आपको ,
आकाश की ओर
टकटकी लगाकर देखते हुऐ
नैराश्य के रिक्त आकाश में
घने बादलों की
संकल्पना लिये...
तो कभी
घने बादलों के पार
आदित्य के रमणीय
स्वरूप की
परिकल्पना लिये हुऐ
वो मिल ही जायेंगे/
वो भी उस समय
जब तुम और मैं
उम्मीदों के बाँध टूटने पर
हताश निराश हो
किनारे पर ठहर गये हों..!!
-अल्पना नागर
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17.3.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4372 में दिया जाएगा| चर्चा मंच ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति सभी चर्चाकारों की हासला अफजाई करेगी
ReplyDeleteधनयवाद
दिलबाग
सादर धन्यवाद 💐
Deleteबहुत सुंदर विश्लेषण कवि का कहीं अपनी ही छवि दिखाते उदगार।
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार 💐
Deleteबहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसादर
जी सादर धन्यवाद 💐
Deleteहार्दिक आभार 💐
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