Wednesday, 20 April 2022

तथागत

 तथागत


अक्सर 

कभी कभी

जीवन्मृत अवचेतन

चाहता है 'तथागत' होना,

स्वयं से बाहर निकल

स्वयं के सम्मुख होना!

वो चाहता है कि

उठे,और मुक्त कर ले

स्वंय को इंद्रियों के जंजाल से,

बस,इतना ही!!

बुद्ध के पथ का अनुसरण

कितना सरल

कितना सहज

मध्यम मार्ग का अनुकरण!

आह!किन्तु एक समस्या है,

आवश्यकता है

'अवगत' होने की,

तुच्छ एषणाओं से विलग होकर

अन्तर्विकारों के

'महाभिनिष्क्रमण' की!


-अल्पना नागर


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