Thursday 7 April 2022

सच्चरित्र औरतें

 सच्चरित्र औरतें


दुनियाभर की सच्चरित्र औरतों !

किसी भी हाल में लगने नहीं देना

चरित्र पर दाग/

मरते दम तक बनी रहना

आटे सी नरम और लचकदार

ढकी रहना ऊपर से नीचे तक/

ध्यान रहे लगने न पाए

बाहरी हवा..

नहीं तो पड़ जाएगी चरित्र पर

बदनुमा काली पपडियां..!

सच्चरित्र औरतों

ये सब तुम्हारे हित में ही तो है!


तुम्हे सीखने होंगे

पति को रिझाने के नित नए प्रयोग..

अगर नहीं आते ये तामझाम तो

चिंता न करो

दुनियाभर की किताबें भरी पड़ी हैं

तुम्हे कुशलतम पत्नी बनाने के नुस्खों से/

कि कसी हुई चोली और नोंकदार एड़ी की 

सैंडिल काफी नहीं है

तुम्हे आकर्षक दिखाने के लिए/

संस्कारों की घुटनों तक छूती 

लंबी काली चोटी भी बहुत जरूरी है

कि जरूरत पड़ने पर

घोड़े की लगाम सी संस्कारी चोटी

खींचकर सही रास्ते लाई जा सकती है/

खुले और छोटे कटे बाल यानी

घोर सर्वनाश..! विद्रोह की शुरुआत..!!


सच्चरित्र औरतों

ये बात गुँथी हुई चोटी में अटके

फीते की तरह गाँठ बांध लो

कानों के पर्दे हमेशा खुले किंतु

मुँह के दरवाजे सिले हों..!

आँखों में याचना और कमतरी का अहसास ही

गुरुमंत्र है सफल शादीशुदा जीवन का..!!


पति के हृदय तक पहुंचना है तो

खुद के तमाम मसलों को दरकिनार कर

गुजरना होगा तेल मसालों के तीखे छोंक से/

खुद को बनाना होगा

बेहद जायकेदार

एकदम झालमुरी के ठोंगे सा

जिसमें समाहित होती जाएं एक से बढ़कर एक

तमाम चटपटी 'स्किल्स'..!

अगर चाहती हो कि पकड़ में आएं

सफल शादी के गुर...

तो लेना होगा प्रशिक्षण

एक टांग पर खड़े रहकर

एकाग्र होने का

बिल्कुल बगुले की तरह..!


आखिर यही तो हैं वो टोटके

जिनसे बनी रहोगी तुम आखिर तक

सच्चरित्र औरत/

इन्हीं से पूर्ण होगी तुम्हारे जीवन की यात्रा

और तुम्हारे जन्म लेने का उद्देश्य..!

तुम उनके दिए चरित्र के तमगों को

सिर माथे लगा 

अगर धारण करती हो आजीवन तो

निस्संदेह तुम सौभाग्यवती हो..!

सच्चरित्र औरतों

आखिर और क्या चाहिए 

जीवन को जीवन कहलाने के लिए..!


-अल्पना नागर


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