छोटी छोटी बातें
बातों से निकलती बातें
बातों ही बातों में खूब बनती बातें
तिल से शुरू हुई
ताड़ पर ख़त्म होती बातें/
राई का पहाड़ बनती बातें
सुई सी दिखती
तलवार सी चुभती बातें..!
शब्दों की क्या मजाल कि
भावनाओं को तोड़ दे
बित्ति भर चिंगारी भरे पूरे जंगल को
राख बनाकर छोड़ दे..!
मगर ये होता है
अर्थ का अनर्थ कर देती हैं
जरा सी लगती निरर्थक बातें/
शब्द हो या चिंगारी
जितने लघु उतने ही भारी..!
आवेश का तूफान
घटनाओं का रुख मोड़ देता है
तरकश से निकला
छोटा सा तीर
समंदर के दर्प को तोड़ देता है
बात छोटी सी थी
मगर लग गई
रामबोला को तुलसीदास कर गई !!
छोटी हों या बड़ी बातें
तोल मोल कर निकलें तो
संसार बदल देती हैं बातें..!
अक्सर एक विचार से उपजी
महाकाव्य में तब्दील हो जाती हैं
छोटी छोटी बातें..!
-अल्पना नागर
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