सूखे गुलाब
रहने दो जरा
सूखे गुलाब
वक्त की किताबों में !
झाँकने भी दो
मुट्ठी भर धूप
अतीत के झरोखों से..
किसे खबर !
जीवन की साँझ में
पतझड़ी सायों के बीच
यूँ ही कभी
टहलते घूमते
मिल जाये
एक टुकड़ा
धूप...
और
फूट पड़े
तुम में
गुलाब की
चंद
कलियां..!
अल्पना नागर
#memories
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