अश्वमेध
यज्ञ संपूर्ण हो गए
युग परिवर्तित हो गए
किन्तु अभी भी
दौड़ रहे हैं
बदहवास
अश्वमेध
सीमाओं को तोड़कर..!
खुलेआम लांघते
समझौता..
कोई नहीं जीत सकता इन्हें,
इनके माथे पर टंगा है
'अजेय' पत्र
ये जिन्दा हैं युगों युगों से
साम्राज्य विस्तार का
चारा खाकर..
इन्हें दरकार नहीं
स्वतंत्र विचरण के लिए
चैत्र पूर्णिमा की !
कहीं ऊपर हैं ये
देश काल और परिस्थिति से..!
ये नई किस्म के
'अपडेटेड' अश्वमेध
न थकते हैं
न रुकते हैं
बस अनवरत विचरते हैं
जन मानस में
किसी आतंक के साए की तरह..!
ये मुक्त हैं
किसी भी तरह की
बलि प्रथा से..!
मगर हाँ,
एक बात तो है..
अश्वमेध किसी भी देश का हो,
आजकल
बलि चढ़ने वाला
जवान
हर जगह कमोबेश
एक ही होता है..!
अल्पना नागर
यज्ञ संपूर्ण हो गए
युग परिवर्तित हो गए
किन्तु अभी भी
दौड़ रहे हैं
बदहवास
अश्वमेध
सीमाओं को तोड़कर..!
खुलेआम लांघते
समझौता..
कोई नहीं जीत सकता इन्हें,
इनके माथे पर टंगा है
'अजेय' पत्र
ये जिन्दा हैं युगों युगों से
साम्राज्य विस्तार का
चारा खाकर..
इन्हें दरकार नहीं
स्वतंत्र विचरण के लिए
चैत्र पूर्णिमा की !
कहीं ऊपर हैं ये
देश काल और परिस्थिति से..!
ये नई किस्म के
'अपडेटेड' अश्वमेध
न थकते हैं
न रुकते हैं
बस अनवरत विचरते हैं
जन मानस में
किसी आतंक के साए की तरह..!
ये मुक्त हैं
किसी भी तरह की
बलि प्रथा से..!
मगर हाँ,
एक बात तो है..
अश्वमेध किसी भी देश का हो,
आजकल
बलि चढ़ने वाला
जवान
हर जगह कमोबेश
एक ही होता है..!
अल्पना नागर
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